हम सभी भ्रष्ट है परन्तु फिर भी हम चाहते है कि भारत भ्रष्टाचार मुक्त हो | कभी-कभी तो मुझे ऐसा लगता है कि मानो इस देश में बिना भ्रष्टाचार के एक दिन गुज़ार पाना भी मुश्किल होगा | हर तरफ घूसखोरी, जालसाजी और भ्रष्टाचार फैला हुआ है और हम निठल्लो की तरह हाँथ पर हाँथ रख बैठे इस भ्रष्टाचार को बढ़ते देख रहे है | हम बस लोगो की आवाज़ में आवाज़ मिला सकते है परन्तु अकेले शुरुआत करने में हम डरपोक बन जाते है | मैं सिर्फ आपकी बात नहीं कर रहा, हम सभी की बात कर रहा हूँ क्यूंकि कहीं न कहीं हम ही जिम्मेदार है इस भ्रष्टाचार को बढ़ाने में | तो अगर आज हमारे नेताओ का कला धन स्विस बैंक में जमा है तो फिर क्यूँ हम भ्रष्टाचार की बात करते है? फिर क्यूँ हम एक दुसरे को चोर-लुटेरे बोलते रहते है? क्यूँ हम अपने जुर्म दूसरों के सिर मढ़ते रहते है?
हर सुबह के अखबार में एक नए "अनशन" की बात होती है, कभी किसी गली, गाँव, कसबे, नगर, जिले में तो कभी बड़े शहरों में तो कभी हर गली, कोने, नुक्कड़ पर अनशन की बाते हो रही होती है | कभी-कभी तो मुझे लगता है कि इस देश का नाम भारत से "अनशन-इंडिया" कर देना चाहिए ताकि बाहर वाले भी जाने कि हम भी चर्चो में है |
अन्ना हजारे के अनशन के बाद, बाबा रामदेव ने इसकी बागडोर थाम ली और अपने चेले-चपाटों (भक्तगण) के साथ अनशन पर बैठ गए | उनके कड़े प्रयास के बाद भी उन्हें उठा कर हरिद्वार भेज दिया परन्तु इस साहसिक (सोनिया गाँधी सरकार कि आवाज़ में) कार्य के चक्कर में हज़ारों भक्तजनों को भुगतान करना पड़ा | यह सरकारी मुलाज़िमो को इस लिए भी करना पड़ा ताकि उनकी गद्दी बची रहे क्यूंकि कहीं न कहीं उनके मन में डर था कि कहीं बाबा भी अन्ना हजारे की तरह कुछ न कर जाये | कहीं अन्ना की तरह कुछ बेकार की मांगे न रख दे और इस बार तो मुद्दा भी कड़ा है और जनता भी |
सवाल था बाबा से कैसे निपटा जाये? और सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया कि सब कुछ छिन-भिन हो गया | धारा 144 के तहत पुलिस ने बाबा का समर्थन करने वाले लोगो की जमकर तुड़ाई की, भीड़ को काबू करने के लिए आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल से भी पुलिस पीछे नहीं हटी और बाबा को मुह छुपा कर हरिद्वार भागना पड़ा | परन्तु, क्या ऐसा करने से भ्रष्टाचार का यह मुद्दा थम जायेगा? क्या जनता उस सच से अछूती रह जाएगी जो स्विस बैंको में जमा है? या फिर उस सच से अछूती रह जाएगी कि हम सब भ्रष्टाचार में यहाँ तक लिप्त हो चुके है कि एक वक़्त आने पर हम अपने आप को भ्रष्टाचार कि आग में भस्म कर लेंगे?
ख़ैर छोड़िये, हम सब जानते है कि हम कितने पानी में है और मैं यह भी मानता हूँ कि इस भ्रष्टाचार का अंत होने में एक लम्बा अरसा लगेगा परन्तु हमे हार नहीं माननी चाहिए | मैं अभी भी एक अच्छे-सच्चे भारत को कहीं दूर कोनो में देख सकता हूँ और उम्मीद भी करता हूँ कि एक दिन वही सचाई का सूर्य उदय होगा बिना भ्रष्टाचार के... |
सधन्यवाद !!!
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