माँ से कह तो दिया था उसने कि उसके जाने से कुछ फ़र्क नहीं पड़ेगा पर क्या सच में फ़र्क नहीं पड़ता? सवाल बड़ा ही चुभने वाला था पर वो सच्चाई को झुटला देना चाहता था । कैसे वो जी पायेगा उसके बिना ये तो कभी सोचा ही नहीं था उसने पर फिर भी उसने सबकी ख़ुशी के लिए खुद को इस बात से आश्वत कर लिया कि अगर वो मेरी क़िस्मत में नहीं होगी तो कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा । पर सवाल ये था कि क्या वो सच में खुश रह पायेगा, कई दिनों से ये सवाल दिल में कौंध रहा था क्या होगा उसका उसके बिना जिसके बिना वो जीना भी नहीं चाहता ? क्या होगा उसका जो वो किसी और का हो गया चाहते न चाहते ? जिसके दो पल गायब होते ही उसकी धडकनें रुक जाती है कैसे जी पायेगा उसके बिना पर शायद यही ज़िन्दगी की सच्चाई है कि
बिछड़ता वो ही है जो मेरा अपना है,
वरना, ग़ैरों का फुरसत मुझसे दिल्लगी की ।
पर, वो दुनिया से कहना नहीं चाहता कि "हाँ! आदत है वो मेरी" और नहीं जीना चाहता उसके बिना...पर वो जानती है कि क्या है वो उसके बिना, वो जानती है कि पूरा हो कर भी अधूरा है वो उसके बिना ।
बहुत सी वफ़ाए लिए चल रहा है अभिनव,
फ़कत तुझ संग ज़िन्दगी की ख़ातिर ।
बिछड़ता वो ही है जो मेरा अपना है,
वरना, ग़ैरों का फुरसत मुझसे दिल्लगी की ।
पर, वो दुनिया से कहना नहीं चाहता कि "हाँ! आदत है वो मेरी" और नहीं जीना चाहता उसके बिना...पर वो जानती है कि क्या है वो उसके बिना, वो जानती है कि पूरा हो कर भी अधूरा है वो उसके बिना ।
बहुत सी वफ़ाए लिए चल रहा है अभिनव,
फ़कत तुझ संग ज़िन्दगी की ख़ातिर ।