रिश्ते, कुछ कहने के, कुछ सुनने के परन्तु ये होते बड़े अजीब है | कभी हमे अपना बना लेते है और कभी अपने होकर भी सपना बना देते है | इंसान अपनी ही दुविधाओ में घिरा रहता है परन्तु फिर भी उससे उस एक शक्श की तलाश रहती है जिससे वो अपना कह सके, जिससे वो अपने सुख और दुःख बाट सके | इन रिश्तों के कई नाम होते है | कभी वो रिश्ता माँ-बाप का होता है, कभी भाई-बहन का, कभी मित्रों, सहपाठियों और सहकर्मचारियों का तो कभी प्रेमी-प्रेमिका का | परन्तु कुछ रिश्तें ऐसे भी होते है जिनके कुछ नाम नहीं होते पर फिर भी वो अपने-आप में परिपूर्ण होते है | रिश्तों के बीच कभी दूरियां नहीं होते परन्तु वक़्त कभी-कभी दो रिश्तों के बीच इतने फासले बड़ा देता है कि वो दूरियां ज़िन्दगी भर ख़त्म नहीं होने पाती |
माँ और बेटा का रिश्ता बेहद अजीब होता है, जाने कैसे माँ अपने बेटा का हर दर्द, हर तकलीफ भाप लेती है और शायद इसी वजह से यह रिश्ता दुनिया का सबसे अजीब परन्तु सबसे मजबूत रिश्ता होता है | माँ के कई रूप हो सकते है, कभी माँ माँ होती है, कभी जीवन-शिक्षिका, कभी पथ-प्रदर्शक तो कभी दोस्त | जरूरी नहीं कि माँ माँ ही हो, माँ कोई भी हो सकती है | माँ बड़ी बहन, शिक्षिका, वो दोस्त जो आपको हर पथ पर अच्छाई और बुराई का पाठ दे हो सकती है या फिर वो कहीं दूर बैठी महिला हो सकती है जिसने अनजाने में आपसे बात करते में कुछ अगूंड जीवन-सच का आभास कराया हो | लोग कहते है कि रिश्तों को बड़ा संभाल कर रखना पड़ता है क्यूंकि कभी-कभी न चाहते हुए भी हम उन रिश्तों से कहीं दूर निकल जाते है और वापस लौटने का कोई संभव रास्ता नहीं मिलता |
इंसान की हसरतें इतनी सारी होती है कि इस छोटी सी ज़िन्दगी में वो उसे पूरा नहीं कर पता परन्तु फिर भी वो भरसक-प्रयासब्ध रहता है | वह हर कोशिश में लगा रहता है कि वह अपनी रोज़मर्रा ज़िन्दगी के साथ-साथ उन रिश्तों को भी वक़्त दे सके जिनसे वो दूर होता चला जा रहा है | कहते है कि वक़्त किसी के लिए नहीं रुकता और जो रुक गया वो वक़्त नहीं और इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए मानुष पल-पल आगे बढता जा रहा है |
परन्तु कुछ रिश्ते अधूरे ही अच्छे लगते है क्यूंकि जब वो पूरे होते है तो धीरे-धीरे उन रिश्तों में खटास आने लगती है, बातों के पहलु भी कम होने लगते है, छोटी-छोटी बातों पर झगड़े, गुस्सा और बुरा मान लेना होने लगता है और धीरे-धीरे रिश्तों में वो अनचाही दरार आ जाती है जो मिटाए नहीं मिटती | कुछ रिश्ते अनचाहे में झूट कि नीव पर बन जाते है और एक वक़्त ऐसा भी आता है कि आप चाह कर भी सच बता नहीं पाते, तो अगर आप कहीं कोई भी रिश्ते कि नीव रखने जा रहे है तो उससे सच के उस छोटे से पत्थर के टुकड़े पर रख कर बनाये जो आजीवन आपके साथ रहे क्यूंकि सच कड़वा जरूर है परन्तु सच तमाम ज़िन्दगी आपके साथ रहेगा |
No comments:
Post a Comment