Monday, August 15, 2011

एक सोच...

सोच ! शायद इसकी शुरुआत उस मनोस्तिथि से होती है जिसमे आपके ज़ेहन में ख्यालों के काफिले तो चल रहे होते है अपितु उन्हें रोक और पूछ पाना बहुत ही मुश्किल होता है | ख्यालों के सिलसिले-ब-सिलसिले चलते हुए एक सोच पर अटक कर रह जाते है, एक अच्छी सोच !!! सोच का कोई दाएरा, कोई सीमा नहीं होती अपितु सोच तो बस बहती हवा की तरह होती है, स्वछंद एवं स्वतंत्र | 

सोच कभी बुरी नहीं होती यद्दपि सोचने वाला दिल या दिमाग अच्छा या बुरा होता है | हम किसी व्यक्ति-वेशेष को उसकी अच्छी या बुरी सोच के लिए ज़िम्मेदार नहीं ठहरा सकते अपितु यह उसकी अच्छी और बुरी परिस्तिथियों पर निर्भर करता है | ख़्वाबों के पुलिंदे ख्यालों में बदल एक सोच का रूप ले लेते है, दिल में कुछ ख्यालों को ले कर धारणा बन जाती है और दिल न चाहते हुए भी उन सब ख्यालों का साथ देने लगता है जोकि मुमकिन ही नहीं है | भई ! कल्पना-शक्ति की उड़ान ही कुछ ऐसी होती है जो हर किसी की चाहतों को पर लगा देती है, बादलों ऊंची छलांगे और कल्पनाओ के पुल हमारी सोच को उस यथाशक्ति से दूर ले जाते है और हमारे होसलों को ऊंची उड़ान देते है यद्दपि हम वही होते है समाज की सांसारिक सोच और रूढ़ीवादिता में अटके बेबस और लाचार पर जो होसलों के परिंदे स्वछन्द गगन में उड़ रहे होते है उन्हें रोक पाना बा-मुश्किल होता है |

आप यह सोच रहे होंगे कि आज यह सोच की बात कहाँ से आ गयी ? सोच और ख़्वाब कभी रास्ता पूछ नहीं आते, यह तो बस दिल को धीरे से छू, सपनों को ऊंची उड़ान दे जाते है और अगर शायद हम दिल की बातों पर कुछ अमल करे तो शायद उन हसीन सपनों को पंख दे सकते है जो दिल में कहीं कोनो में दबे पड़े है |

तो निकलिए अपनी सोच के दाएरे से बाहर, अपने सपनों के पंखो को आसमान दीजिये और उड़ चलिए अपनी कल्पना और सोच की नयी दुनिया में जहाँ सपनों को हकीकत में बदलने की कोशिश की जाती है | हर एक नयी सोच एक अच्छे आज और बेहतर कल को जन्म दे सकती है, परिवर्तन कर सकती है, आधार दे सकती है | तो आज सोचिये अपने बारे में, एक नयी सोच के साथ....